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बुधवार, 17 मार्च 2010

ड्यूटी पर

मेले में
अकेले में
खडी थी एक लड़की
तभी
एक आदमी आया
आते ही उसने
लड़की को हाथ लगाया
यह देख
दूर खड़े
उसके कुछ साथी
मुस्कुराने लगे
कुछ तो
वन्स मोर, वन्स मोर
चिल्लाने लगे
धीरे-धीरे
भीड़ बढ़ गई
छोटी सी बात
राई का पहाड़ बन गई
भीड़ देखकर
मैं भी वहां पहुँचा
और
दृश्य देखकर चौंका
एक पुलिस वाला
समाज का सेवक होकर
सुरक्षा चक्र को भेदने का
दुष्टतापूर्ण और घिनोना
प्रयास कर रहा था
भोली-भाली लड़की को
दिन के उजाले में
छेड़ रहा था
यह देख
मैंने हवलदार से कहा
हे प्रजातंत्र के
स्वतंत्र सिपाही
पुलिस विभाग के नियमों को
तोड़ने की कसम
आपने क्यों खाई ?
आपको, ऐसा करते
जरा भी लाज नहीं आई
माना
कानून आपके हाथ में है
लेकिन
क्या जनता आपके साथ में है
अरे
तुम तो
पुलिस वाले हो
जनता के रक्षक हो
तुम्हें
ऐसा नहीं करना चाहिए
अपने
अधिकारियों से डरना चाहिए
वह बोला
हम तो
कभी-कभी मजा लेते हैं
लेकिन
हमारे अधिकारी तो
हमेशा ही ऐसा करते हैं
इसलिए
हमें कोई डर नहीं है
फिलहाल हम
ड्यूटी पर नहीं हैं ।

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