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सोमवार, 22 मार्च 2010

कवि की उम्र

1 टिप्पणियाँ
एक कवि
कभी नहीं मरता
उसके लिए
शताब्दियां
नाम मात्र की भी नहीं हैं
क्योंकि
कवि की उम्र
उसकी कविताएं हैं
और
कविताओं की
कोई उम्र नहीं होती।

आत्मकथा

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खबर
बड़ी चर्चित है
कि
शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी ने
आत्महत्या कर ली
हिम्मतदार पुलिसवाला
ट्रेन से कटकर मर गया
और
ह्रदय गति रूकने से
नेताजी का देहान्त हो गया
कारण
एक वेश्या ने
अपनी आत्मकथा को
अखबार में छपवा दिया।

मजबूरी

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हे भगवान
मैंने आत्महत्या की है
समाज कहता है
कि
मैं दोषी हूँ
लेकिन
तुम ही बताओ
मैं कहां दोषी हूँ
कोई तो मजबूरी रही होगी
जब मैंने
आत्महत्या की होगी।

तुम

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तुम
प्रेमचन्द का
वह उपन्यास हो
जिसे
लोग सहेज कर रखना चाहते हैं
और
मैं वह साप्ताहिक अखबार हूँ
जिसे, लोग
सात दिन रखना तो दूर
पढ़ने से भी कतराते हैं।

भाग्य रेखा

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तुम
एक स्पर्श हो
जिसे
मैं महसूस करता हूँ
तुम
एक अहसास हो
जिसे
मैं अपने निकट पाता हूँ
तुम
एक लम्बी श्वांस हो
जिसे
मैं अपने भीतर पाता हूँ
तुम
एक परछाईं हो
जिसे
मैं अपने समीप पाता हूँ
तुम
एक भाग्य रेखा हो
जिसे
मैं अपनी हथेली में पाता हूँ
और
मैं उस हथेली की
मुठ्ठी को बांध लेना चाहता हूँ
ताकि
तुम
बन्द मुठ्ठी में
भाग्य रेखा बनकर
मेरे साथ रहो।

याद

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तुम्हें
एक बार याद करने से
मुझे
सौ बरस का पुण्य मिलता है
क्यों याद आती हो इतना
एक बार
याद करने से ही
सारे पाप मिट गए।

बचपन की यादें

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आज मैं
पचपन का हो गया हूँ
जाने कहां खो गया हूँ
खुद को कोस रहा हूँ
बचपन को खोज रहा हूँ
और
सोच रहा हूँ
कैसे दुहरा पाऊंगा
छुटपन की यादें
अरे!
यह क्या
मैं कहां अटक गया
व्यर्थ में ही भटक गया
सामने खेल रहा
मेरा बेटा ही तो
मेरा बचपन है।

विश्वास

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कैसे विश्वास करें
अपना कहने वालों पर
मरते समय
आँख भी फिर जाती है
वो तो अपनी है।

तनाव

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जब
मैं तनाव में होता हूँ
देखता हूँ छोटे भाई को
अन्जान ही सही
लेकिन
किस तरह निश्चिंत है
जब
मैं तनाव में होता हूँ
देखता हूँ बड़ी बहिन को
किस तरह
मुझे बचाने के लिए
मेरे सारे अपराध
अपने सिर पर ले लेती है
जब
मैं तनाव में होता हूँ
देखता हूँ पिता की ओर
किस तरह
घर का खर्च चलाते हैं
जब
मैं तनाव में होता हूँ
देखता हूँ माँ की तरफ
किस तरह
घर सम्हालती है वो
तनाव करके
मैं गलत हूँ
क्योंकि
मेरा तनाव तो
पहले से ही बंटा हुआ है।

छिपकली

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बेशर्म छिपकली
दीवार पर बैठी
खा गई कोमल तितली
और
छुप गई
दीवार पर टंगी हुई
तस्वीर के पीछे
जिस पर
छपा था चित्र
महात्मा गौतम बुद्ध का
और
उस पर लिखा था
जीवों पर दया करो।

स्मृति

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तुम्हें
सामने बिठाकर
लिखने लगा हूँ
अब मैं
पहले से
बहुत अच्छी
और
सम्पूर्ण कविताएं
इस तरह
मानो
पुरानी कविताओं की
स्मृति हो आई हो।

संभावना

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आदमी
मुर्गी का अंडा उठाकर
उसे शायद
खा जाना चाहता है
आदमी
तुम
मुर्गी के
संभावित बच्चे (चूजे) के
हत्यारे हो
क्योंकि
अंडे के खाते ही
तुमने
बच्चे (चूजे) के पैदा होने की
संभावना को भी
खत्म कर दिया।

सागर का घमंड

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सागर
तुम
विशाल होने का
घमंड क्यों करते हो
तुम्हारा घमंड तो
कागज की उस
छोटी नाव ने
चूर-चूर
कर दिया
जिसे तुम
कभी डुबा न सके।

चश्मा

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प्रेमिका को पाने के लिए
प्रेमी ने कहा
प्रिय
तुम्हारे खूबसूरत चेहरे पर जो
माइनस फाइव का चश्मा लगता है
बिल्कुल नहीं जमता है
इसे लगाने से
तुम्हारी खूबसूरती भी
माइनस फाइव हो गई है
इसलिए
ऐसा करो
अपने जीवन से ही
चश्मे को माइनस करो
और
बिना चश्में के
कुछ नहीं दिखेगा
इस बात की चिन्ता मत करो
मैं तुम्हारे काम आऊँगा
जहाँ भी जाना होगा
हाथ पकड़कर ले जाऊँगा
प्रेमिका बोली
खबरदार
मैं हूँ
तुमसे ज्यादा समझदार
इडियट
नॉनसेन्स
कल से लगाऊँगी मैं
कॉन्टेक्ट लेन्स।

प्रिय हीरोइन

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मैं और मेरी बीवी
देख रहे थे टी वी
टी वी देखने का कारण था यूँ
हमारा मनपसन्द कार्यक्रम
फिल्मों हस्तियों का आ रहा था इंटरव्यू
पत्नी के साथ हम भी ले रहे थे आनंद
संचालन कर रहे थे देवानंद
मंच पर
बलखाती हुई एक हसीना आई
आते ही मुस्कुराई
कोशिश करने पर भी
जब मैं उसे पहचान नहीं पाया
तो मैंने दिमाग पर जोर लगाया
पत्नी बोली
दिमाग पर इतना जोर डालने की
क्या है जरूरत
यह है आपकी प्रिय हीरोइन मल्लिका शेरावत
और
आपकी आँखें इसे
इसलिए नहीं पहिचान पाई हैं
क्योंकि
आज यह पूरे कपड़े पहनकर आई है।

कॉल गर्ल

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कलयुगी बेटे ने
आधुनिक पिता से कहा
डेडी
इधर आओ
कॉल गर्ल
किसे कहते हैं
बताओ
सुनते ही
पिता सकुचाया
बेटे के निकट आया
और बोला
बेटा धर्मेन्दर
तुमने सुना होगा
शहरों में होते हैं
टेलीफोन के कॉल सेंटर
वहाँ काम करतीं हैं जो गर्ल
उन्हें कहते हैं कॉल गर्ल
लेकिन बेटे
कोई भी प्रश्न
यूँ ही
खुले आम नहीं पूछते
अच्छा यह बताओ
तुम्हें
यह प्रश्न कहाँ से सूझा
बेटा बोला
हमें मत सिखाओ
पहले आप बताओ
यह उत्तर
आपको कहाँ से सूझा।

वाशिंग मशीन

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नाराज पत्नी
मुझे देखकर
मुँह मोड़ने लगी
वाशिंग मशीन सही थी
फिर भी
हाथ से कपड़े निचोड़ने लगी
मैं समझ गया
आज मेरी खैर नहीं।

भाई

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पान वाले ने
नेताजी को आवाज लगाई
सुनो भाई
कहाँ से आ रहे हो
बिना मिले ही जा रहे हो
नेताजी पान वाले के पास आए
गुस्से में तिलमिलाए और बोले
तुमने मुझे
भाई क्यों कहा
पान वाला बोला
क्यों नाराज होते हैं
अरे
हम पान में चूना लगाते हैं
आप पब्लिक को चूना लगाते हैं
इस नाते
हम आपके भाई कहलाते हैं।