ब्लॉग देखने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद। आप मेरे समर्थक (Follower) बनें और मुझसे जुड़ें। मेरी किताबें खरीदने के लिए मोबाइल – 9451169407 (व्हाट्सएप), 8953165089 पर सम्पर्क करें या sudhir.bhel@gmail.com पर मेल करें। (इस ब्लॉग की प्रत्येक पोस्ट का कॉपीराइट © सुधीर गुप्ता ‘चक्र’ का है।)

गुरुवार, 21 सितंबर 2017

वोट डालने क्यों गए

0 टिप्पणियाँ
हे लोकतंत्र के दगाबाज
काले कारनामों के सरताज
हिंदु, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई
काहे के भाई
बताओ
यह कहकर तुमने धार्मिक आग क्यों लगाई?
तुम
घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप में
जेल में बंद रहकर भी
बिना प्रचार के
चुनाव जीत गए
दुःख होता है
हम वोट डालने ही क्यों गए॥1

अवैध संतानों के जन्मदाता
खुद को कहते हो भारत भाग्य विधाता
फिर
नारायणदत्त तिवारी वाली हरकत करते
तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आयी
तुम्हारी लपलपाती जीभ देखकर
वह मजूरन
आज तक अपना आँचल नहीं ढक पायी
तुमने उसकी आबरू भी लूटी और
वोट मांगने भी गए
दुःख होता है
हम वोट डालने ही क्यों गए॥2

हे कामदेव के ईष्ट समर्थकों
आशाराम बापू और राम-रहीम के अनुयायी
बहू-बेटियों की इज्जत भी अब
तुमसे कहाँ सुरक्षित रह पायी
अपराध तुम करो 
धारा हम पर लगे
तुम पर
काहे की धारा काहे की रोक
तुम चाहे जिसका गाल छुओ तो कोई बात नहीं
हमने टमाटर छुये तो अपराधी हो गए
दुःख होता है
हम वोट डालने ही क्यों गए॥3

नगरपालिका की पानी की टंकी पर लगे
मधुमक्खी के छत्तों
बरसाती कुकुरमुत्तों
तुमने
फकीरी में जन्म लिया
जवानी गरीबी में बीती और
नेता बनते ही अमीर हो गए
इसलिए
तुम्हारी वसीयत के हकदार
केवल दो बच्चे ही लिखे गए
और जिन दर्जनों बच्चों की शक्ल तुमसे मिलती है
उनका क्या?
उन्हें तुम कैसे भूल गए
दुःख होता है
हम वोट डालने ही क्यों गए॥4

अर्थी के लिए बजते बाजों
शोकधुन पर थिरकने वाले धोखेबाजों
सत्ता पाकर हुए घमंडी
महाभारत के चालबाज शिखंडी
शहर में जब भी दंगा हुआ है
मजहब के नाम पर आदमी नंगा हुआ है
इसलिए
तुम्हारे एक इशारे पर कुछ लोग
गौ मांस का टुकड़ा मंदिर में फेंक गए
और कुछ लोग मस्जिद के बाहर
 नमः शिवाय लिखकर भाग गए
साम्प्रदायिक दंगों में हजार मरे
सरकारी आँकड़ों में सौ लिखे गए
वोट की खातिर तुम कितना गिर गए?
दुःख होता है
हम वोट डालने ही क्यों गए॥5

मौत का फरमान लिखे काले अक्षर
बंजर भूमि में शिलान्यास के पत्थर
जिन इमारतों का तुमने 
किया था शिलान्यास
दबकर उनमें 
सैकड़ों मजदूर मर गए
 कथनी अच्छी है तुम्हारी 
 करनी अच्छी है
फिर तुम 
उदघाटन करने ही क्यों गए
तुम्हारे दुष्कर्म देखकर
माँ-बाप भी सोचते होंगे
तुम 
पैदा होते ही क्यों नहीं मर गए
दुःख होता है
हम वोट डालने ही क्यों गए॥6