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मंगलवार, 23 नवंबर 2010

उम्मीदें क्यों? (काव्य संग्रह)

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कवि सुधीर गुप्ता "चक्र" के दूसरे काव्य संग्रह "उम्मीदें क्यों"? पर सुप्रसिद्ध कवि डॉ कुँअर बैचेन जी की
“टिप्पणी”
संक्षेप में कहा जाए तो सुधीर गुप्ता "चक्र" की कविताएँ कृष्ण-कन्हैया के उस सुदर्शन चक्र की भाँति हैं जो सभी विसंगतियों का तब तक पीछा करता है, जब तक वे विसंगतियाँ पराजित नहीं हो जातीं, जब तक उनका शीश धड़ से अलग नहीं हो जाता। "सुधीर" की कविताएँ "सुधार" की कविताएँ हैं।

गोल्ड अवार्ड प्राप्त

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QCFI कानपुर द्वारा 13 नवम्बर 2010 को गुणता वृत्त “गैलेक्सी” के उपनेता के रूप में अपनी सुंदर प्रस्तुति के लिए “गोल्ड अवार्ड” प्राप्त किया। अपने समूह के साथ बाएं से दूसरे स्थान पर कवि सुधीर गुप्ता “चक्र”।

अन्य गतिविधियाँ

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26 जनवरी 2009 को भेल के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री आर के पाण्डेय जी द्वारा गुणता वृत्त सम्मेलन में अपनी प्रस्तुति के लिए द्वितीय स्थान प्राप्त करने पर समूह के साथ पुरस्कार प्राप्त करते हुए बाएं से तीसरे स्थान पर कवि सुधीर गुप्ता "चक्र"।



पुस्तक विमोचन

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“अरे! हम तो फिसल गए”
कवि सुधीर गुप्ता “चक्र” की हास्य व्यंग्य कविताओं की पुस्तक “अरे! हम तो फिसल गए” का विमोचन एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में आदरणीय बाल कवि बैरागी जी एवं भेल के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री आर के पाण्डेय जी द्वारा किया गया। कवि सम्मेलन में कवि डॉ सुनील जोगी, व्यंजना शुक्ला, राजेंद्र राजन आदि कवि उपस्थित थे। चित्र में बायीं ओर काली जैकेट और कत्थई शर्ट पहने हुए कवि सुधीर गुप्ता “चक्र”।
ध्यान दें
यह विश्व की ऐसी पहली पुस्तक है जिसे पढने से पहले शुरु में ही व्यंग्यात्मक "चेतावनी" दी गई है। अतः चेतावनी ध्यान से पढकर ही पुस्तक पढें अन्यथा कवि की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।