कवि सुधीर गुप्ता "चक्र" के दूसरे काव्य संग्रह "उम्मीदें क्यों"? पर सुप्रसिद्ध कवि डॉ कुँअर बैचेन जी की
“टिप्पणी”
संक्षेप में कहा जाए तो सुधीर गुप्ता "चक्र" की कविताएँ कृष्ण-कन्हैया के उस सुदर्शन चक्र की भाँति हैं जो सभी विसंगतियों का तब तक पीछा करता है, जब तक वे विसंगतियाँ पराजित नहीं हो जातीं, जब तक उनका शीश धड़ से अलग नहीं हो जाता। "सुधीर" की कविताएँ "सुधार" की कविताएँ हैं।
“टिप्पणी”
संक्षेप में कहा जाए तो सुधीर गुप्ता "चक्र" की कविताएँ कृष्ण-कन्हैया के उस सुदर्शन चक्र की भाँति हैं जो सभी विसंगतियों का तब तक पीछा करता है, जब तक वे विसंगतियाँ पराजित नहीं हो जातीं, जब तक उनका शीश धड़ से अलग नहीं हो जाता। "सुधीर" की कविताएँ "सुधार" की कविताएँ हैं।