विकट
गरीबी में दिहाड़ी मजदूर रामलाल पति-पत्नी और छः लड़कियों के साथ घर का खर्चा बड़ी
मुश्किल से चला पा रहा था और यह समस्या दिन प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही थी क्योंकि लड़के
की चाह में कुछ समय बाद परिवार में हर बार एक नया सदस्य बढ़ जाता था।
छठवी
लड़की अभी साल भर की भी नहीं हो पायी थी कि रामलाल की पत्नी कमला पुनः गर्भवती हो
गयी। गर्भधारण के बाद एक दिन सरकारी अस्पताल से जाँच के बाद बाहर निकले पति-पत्नी
के चेहरे पर अजीब सी खुशी और आत्मविश्वास दिखायी दिया जैसे इस बार लड़का हो ही
जायेगा। पता नहीं क्यों रामलाल अपनी खुशी छुपा नहीं सका और बच्चे के जन्म से पहले
ही उसने मिठाई बाँट दी। समय से पहले और परिणाम जाने बिना मिठाई बांटना बड़ी अचरज
वाली बात थी इसलिए जब रामलाल से मैंने इसका कारण पूछा तो वह छाती फुलाकर बोला साहब
इस बार लड़का होगा इसलिए मिठाई बाँट रहा हूँ। मैंने आश्चर्य से कहा- यह तुम कैसे कह
सकते हो कि इस बार लड़का ही होगा? पूरे विश्वास के साथ वह बोला कि इस
बार मैं कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता था इसलिए मैंने पाँच हजार रूपये रिश्वत देकर
जन्म से पहले ही भ्रूण की जाँच करवा ली है।
कुछ
पल मौन रहकर मैंने उससे कहा क्या तुम्हे नहीं मालूम कि जन्म से पहले भ्रूण की जाँच
करवाना दण्डनीय अपराध है और फिर तुम्हारे लिये तो पाँच हजार रूपये की रकम भी बहुत
बड़ी है। कैसे किया तुमने यह सब? गर्वीले और रोबदार अंदाज में वह बोला, पैसा
बोलता है साहब। पाँच क्या डॉक्टर पचास हजार रूपये भी मांगता तो दे देता। लड़के के
लिए क्या पैसे का मुँह देखना?
रामलाल
द्वारा लड़के की चाह में निरंतर लड़कियों की उपेक्षा और रिश्वत देकर भ्रूण की जाँच
करवाने जैसे आपराधिक कृत्य को सहर्ष बताये जाने पर मुझे रामलाल से घृणा होने लगी
इसलिए अब मैंने उससे अन्य कोई भी प्रश्न पूछना उचित नहीं समझा और वापिस घर की ओर
चल दिया।
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