सुबह आठ बजे
ड्यूटी पर जाते समय
माँ
द्वार तक छोड़ने आती है
और
वह जानती है
कि
अब मैं शाम को
पाँच बजे ही घर आऊंगा
लेकिन
फिर भी वह
मेरे जाते ही
उम्मीद लगाती है
कि
मैं बस
आने ही वाला हूँ
उसे कोई समझा भी नहीं सकता
क्योंकि
वह माँ है।
गुरुवार, 18 मार्च 2010
माँ की उम्मीद
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गुरुवार, मार्च 18, 2010
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