तुम्हें
सामने बिठाकर
लिखने लगा हूँ
अब मैं
पहले से/ बहुत अच्छी और
संपूर्ण कविताएँ
इस तरह मानों
पुरानी कविताओं की "स्मृति" हो आयी हो।
(कवि, लेखक एवं समीक्षक)
तुम्हें
सामने बिठाकर
लिखने लगा हूँ
अब मैं
पहले से/ बहुत अच्छी और
संपूर्ण कविताएँ
इस तरह मानों
पुरानी कविताओं की "स्मृति" हो आयी हो।
भव्यता पर
बात करते-करते
कुछ लोग
सभ्यता खो बैठे
और
आपस में लडने लगे
कुछ लोगों ने
हाथों में लिया अखबार फाड़ दिया
मैंने पूछा
अखबार का नाम
तो बोले कि
"हिन्दुस्तान" है।
पिताजी
ओसारे के नीचे पडी
चारपाई पर लेटे ही लेटे
बकरी के छौने को देखकर तुम
बडे खुश होते हो
फिर
प्यार से गोद में उठाते हो
यही छौना
बकरी बनने के बाद
उसका वंश बढाएगा
फिर
पीढी दर पीढी
यही क्रम चलेगा
सोचकर
बहुत हर्षाते हो
लेकिन
मुझे जन्म से पहले ही
मारने की सोचते हो
अगर
जन्म ले भी लूँ तो
तुम्हारे चेहरे पर
क्यों आ जाती है उदासी
मैं
तुम्हारा न सही
माँ की तरह
किसी का तो वंश बढाऊंगी
फिर
छौने में और मुझमें
भेदभाव क्यों?