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मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

हार

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जब
मैले और फटेहाल
चीथड़ों में रहने वाली
इधर-उधर भटकती
सर खुजाती हुयी पागल औरत
किसी के पाप का बोझ उठाती है
तब
एक बात स्पष्ट नजर आती है
कि
वासना के आगे
सौंदर्य की भी हार हो जाती है।

इच्छा

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सदियों पहले
औरत के साथ
न जाने
कौन सी
साजिश रची गयी
आज तक
उसकी इच्छा नहीं पूछी गयी।

कील

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स्त्री 
दीवार पर जबरदस्ती ठोकी गयी
वो कील है
जिसपर
कोई भी
अपनी इच्छाओं का
धुला-बिना धुला
फटा-उधड़ा
गंदा-साफ
या
नया-पुराना
कपड़ा टांगकर चला जाता है
पता नहीं
एक स्त्री के द्वारा
इतना सबकुछ कैसे सहा जाता है ?

कड़वा सच

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मानो
या न मानो
पर
यह कड़वा सच है
स्त्री
तब तक जिंदा रहेगी
जब तक
पुरूष चाहेगा।