उम्र को अंगूठा दिखाकर
दिनभर की भागम-भाग के बाद
घर लौटती है जब मजूरन
भूल जाती है
दिनभर की अपनी व्यस्तता
फिर
थकान को खूंटी पर टांगकर ...
एक-एक करके
चूल्हे में सरकाती है लकड़ियाँ और
लकड़ियों के साथ खुद जलकर
सबकी खुशी का रखती है ध्यान
क्योंकि
वह औरत है।