समुन्दर किनारे
रेत पर लिखती हो तुम
मेरा नाम
मिटा देती हैं
समुन्दर की लहरें उसे
तुम्हारा
बार-बार
यही क्रम दोहराना
समझ नहीं आता
तुम्हारा खेल है
या
हर बार मुझे
डुबाने की साजिश।
गुरुवार, 18 मार्च 2010
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(कवि, लेखक एवं समीक्षक)
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