आज मैं
पचपन का हो गया हूँ
जाने कहां खो गया हूँ
खुद को कोस रहा हूँ
बचपन को खोज रहा हूँ
और
सोच रहा हूँ
कैसे दुहरा पाऊंगा
छुटपन की यादें
अरे!
यह क्या
मैं कहां अटक गया
व्यर्थ में ही भटक गया
सामने खेल रहा
मेरा बेटा ही तो
मेरा बचपन है।
सोमवार, 22 मार्च 2010
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