क्या कहा तुमने
मैंने
अपनी इच्छाओं को रोका है
मैंने
अपनी इच्छाओं को मारा है
अपने लिए कुछ भी नहीं सोचा
गलत हो तुम
और
तुम्हारी यह सोच
क्योंकि
मेरी इच्छाएं हैं
अपनी दैनिक मजदूरी में से
किसी तरह
बाबूजी का चश्मा बनवाऊं
माँ की पैबन्द वाली साड़ी बदलवाऊं
छोटे भाई को सहारा दूं
और
बहिन के हाथ पीले करके
असहाय माँ-बाप की जिम्मेदारी निभाऊं।
बुधवार, 12 मई 2010
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