माँ
अंकित से शादी करके बहू घर लाने की बात कह-कहकर थक गयी थी। वो चाहती थी कि उसके
स्वर्ग सिधारने से पहले बहू घर पर आ जाये जिससे उसके बाद वह अंकित का ध्यान रख
सके। धीरे-धीरे समय बीतता रहा और माँ बूढ़ी होती गयी।
एक
दिन अंकित दुकान पर पहुँचकर अगरबत्ती भी नहीं लगा पाया था कि एक सुंदर सी युवती
आयी और बोली एक पैकेट मैगी दे दीजिए। अंकित उसकी सुंदरता देखकर आश्चर्यचकित हुआ और
बिना पलक झपके उसे ही देखता रहा। कुछ देर बाद जेब में रखे मोबाइल की घंटी ने उसे सचेत
किया तो उसने मैगी का पैकेट युवती को देते हुये कहा यह लीजिए और बोनी का टाइम है
छुट्टे पैसे देना। युवती ने हाँ में सिर हिलाते हुये पर्स टटोला तो वह खाली था।
शर्मिंदा होते हुये वह बोली माफ कीजिए मैं भूल से दूसरा पर्स ले आयी मैगी वापिस रखिये
मैं अभी पैसे लेकर आती हूँ कहकर वह पैसे लेने चली गयी।
अबतक
शादी की मना करते-करते अंकित उस युवती को दिल दे बैठा और मन ही मन सोचने लगा कि
उसके पुनः आते ही उससे अपने साथ शादी के रिश्ते का प्रस्ताव रख दूंगा। कुछ ही देर
बाद युवती वपिस आयी और अंकित ने उसे मैगी का पैकेट देते हुये अपनी बात कहना चाहा
तभी एक बच्चा दौड़ता हुआ आया और उस युवती का हाथ पकड़कर बोला कि मम्मी मुझे टॉफी
खाना है। “मम्मी” शब्द सुनकर अंकित को झटका तो लगा लेकिन तुरंत ही उसने अपने आपको
सम्भाला और युवती के विवाहित होने की जानकारी के अभाव में उससे शादी का मन में जो विचार
आया था उसके लिये क्षमा मांगी और दुकान में रखी हुयी राखी उठाकर उसकी ओर बढ़ाते
हुये कहा बहिनजी मुझे राखी बांधकर एक नये और पवित्र रिश्ते की शुरूआत करो।
युवती
अंकित के विचार जानकर बहुत प्रभावित हुयी और उसने तुरंत ही उसे राखी बांधते हुये
कहा आज मैं गर्व से कह सकती हूँ कि मेरा भी एक भाई है। राखी बांधने के बाद दोनों
की खुशी का ठिकाना नहीं था वे छलछलाती आँखों से एक-दूसरे को इस तरह देखने लगे जैसे
वर्षों बाद बिछुड़े हुये भाई-बहिन मिले हों।
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