तुम्हें
सामने बिठाकर
लिखने लगा हूँ
अब मैं
पहले से/ बहुत अच्छी और
संपूर्ण कविताएँ
इस तरह मानों
पुरानी कविताओं की "स्मृति" हो आयी हो।
(कवि, लेखक एवं समीक्षक)
तुम्हें
सामने बिठाकर
लिखने लगा हूँ
अब मैं
पहले से/ बहुत अच्छी और
संपूर्ण कविताएँ
इस तरह मानों
पुरानी कविताओं की "स्मृति" हो आयी हो।
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