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रविवार, 10 जून 2012

हम किन्नर हैं (आम आदमी के प्रति)

हम किन्नर हैं
हाँ
हम किन्नर ही हैं और
निःसंकोच कहते हैं
कि
हम किन्नर हैं
तुम
अपने संस्कारों को भूलकर
नारी के प्रति
अपने ही हाथों से
अपनी मर्यादा का गर्भपात कर चुके हो
इसलिए कैसे कह सकते हो कि
नारी ने तुम्हें एक पूर्ण इंसान के रूप में जन्म दिया है
हम अर्धविकसित या अविकसित ही सही
लेकिन
गर्व से कहते हैं कि
हमें नारी ने ही जन्म दिया है
इसलिए हम बहुत खुश हैं
भले ही हम किन्नर हैं
दो आँख, दो कान
दो हाथ और दो पैर
सब कुछ तुम्हारे जैसा ही तो है
खुशी तो इस बात की है कि
इंद्रियों को वश में रखने का विशेष गुण
विधाता ने
केवल हमें ही दिया है
इसलिए हम बहुत खुश हैं
भले ही हम किन्नर हैं
तुम
मर्द होने का अहम और
औरत के सुंदर होने के बीच की
संकीर्ण मानसिकता से कभी नहीं उभर सकते
यहां भी ऊपर वाले ने हमारा बखूबी ध्यान रखा है
क्योंकि हमारे यहां समानता है
हर कोई एक जैसा होता है
एक जैसा दिखता है
इसलिए हम बहुत खुश हैं
भले ही हम किन्नर हैं
नौनिहालों के स्तनपान की अनदेखी करके
घर की हद लांघकर
सरकारी वैशाखी के सहारे
आज तुम्हारी औरतें
मर्दों के साथ
बराबरी का हक मांगकर
उसके साथ कंधे से कंधा मिलाने के लिए लड़ रही हैं और
हमारे यहां इस तरह की कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होती
इसलिए हम बहुत खुश हैं
भले ही हम किन्नर हैं
तुम अपनी संतान भी ठीक से नहीं पाल सके और
तुम कभी भी नहीं सीख सके
किसी गैर को आशीर्वाद देना
या यह कहना कि
दूधो नहाओ पूतो फलो
क्योंकि
विधाता को तुम पर विश्वास ही नहीं था
इसलिए
यह विशेष गुण भी विधाता ने हमें ही दिया है
तुम्हारे बच्चों को हम पहले अपने आँचल में रखते हैं
फिर आशीर्वाद भी देते हैं
इसलिए हम बहुत खुश हैं
भले ही हम किन्नर हैं
तुम्हारी नंगी सभ्यता से अच्छी थी
हडप्पा की सभ्यता और
सिंधु घाटी की सभ्यता
क्योंकि तुम्हारे और हमारे बीच का शारीरिक अंतर
तुम्हारी संकीर्ण सोच वाले अविकसित मस्तिष्क में
हमेशा द्वंद पैदा करता रहा
और तुम्हें सोने नहीं दिया रात भर
हमें भले ही तुम्हारी सभ्यताओं के साथ संघर्ष करना पडा
लेकिन सदियों पुरानी हमारी सभयता आज भी जीवित है
इसलिए हम बहुत खुश हैं
भले ही हम किन्नर हैं
इतिहास गवाह है
हमारी पीढियां
तुम्हारे रहमोकरम पर
कभी भी नहीं पली
क्योंकि
तुमने हमें जो भी दिया है
उसका कुछ न कुछ मूल्य अवश्य था
लेकिन हमने तुम्हारी हर पीढी को अपना
अनमोल आशीर्वाद दिया है
इसलिए हम बहुत खुश हैं
भले ही हम किन्नर हैं
हृदय में
असहनीय और अभद्र टिप्पणियों की
कटाक्ष शिला रखकर
तमाम अनसुलझे प्रश्न
तुम्हारे खाली हो चुके मस्तिष्क में मथते रहते हैं
गर्भधारण न कर पाना हमारी शारीरिक नपुंसकता नहीं
बल्कि तुम्हारी मानसिक नपुंसकता है
क्योंकि शरीर से अधिक मन की नपुंसकता खतरनाक होती है
इसलिए हम बहुत खुश हैं
भले ही हम किन्नर हैं।

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